प्रश्न ५०: यदि ईश्वर की इच्छा के अनुसार हर इच्छा किसी विशेष समय में पूरी हो जाती है, तो प्रार्थना की क्या आवश्यकता है? | गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर

 

गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर जी:

 प्रार्थना कोई ऐसी चीज नहीं है जिसे आप खुद पर या किसी और पर थोपते हैं। प्रार्थना सहायता के लिए, या कृतज्ञता की एक स्वाभाविक अभिव्यक्ति है। प्रार्थना केवल दो अवसरों पर ही हो सकती है:

1. जब आपको किसी चीज की सख्त जरूरत होती है तो आप प्रार्थना करते हैं। जब आपको पता चलता है कि आप कमजोर हैं और आप कुछ संभाल नहीं सकते हैं, तब आप मदद मांगते हैं और वह प्रार्थना है।

2. जब आप महसूस करते हैं कि आप वास्तव में जो चाहते हैं, आपने उससे अधिक प्राप्त किया है, और यह सब आपके लिए एक आशीर्वाद और एक उपहार के रूप में आया है, तो आप जो आभार व्यक्त करते हैं वह प्रार्थना बन जाता है। और अगर आप इसे थोड़ा आगे बढ़ाते हैं, तो एक और अवसर है जब आपके भीतर से प्रार्थना उठती है, वह तब, जब आप ब्रह्मांड के निर्माता या देवत्व के साथ साकार या निराकार तरीके से, (जैसे भी आप इसे मानते हैं) गहन प्रेम में होते हैं, वह भक्ति है !

इसलिए प्रार्थना वह चीज है जो अनायास होती है। और प्रार्थना के साथ कुछ अनुष्ठानों का होना अच्छा है क्योंकि यह जीवन में कुछ रंग जोड़ता है। जब आप एक विशेष तरीके से मोमबत्ती या किसी ऐसी चीज को जलाकर प्रार्थना करते हैं तो वे भावनाएं भी सतह पर आती है जो आप में सो रही थीं।

प्रार्थना के लाभ हैं:

1. यह उन भावनाओं को आमंत्रित करता है जो आपके भीतर सो रही हैं।

2. यह आपके भीतर की  चिंता और बोझ को दूर करता है।

3. इससे आपमें आत्मविश्वास पैदा होता है और आप अपनी तरफ से जुड़ाव महसूस करते हैं। आप पहले से ही परमात्मा से जुड़े हुए हैं, लेकिन आपकी ओर से आप उच्च शक्ति के लिए अपने संबंध का एहसास करना शुरू करते हैं।

4. यह आपको एक दिनचर्या में बाँध देता है। मान लें  कि आप  हर दिन प्रार्थना करने की आदत बनाते हैं, शायद पहले चार दिन कोई अनुभव न हो , लेकिन पांचवें दिन आपको  कुछ अनुभव अवश्य होता है । यह लगभग किसी भी अन्य साधना की तरह है। इसलिए प्रार्थना को अपने जीवन में एक अभ्यास बनाएं ताकि आपको पता चले कि आपके पास ऐसा करने के लिए कुछ है जो दिव्य है ।

प्रार्थना उस चीज़ से जुड़ने का तरीका है जो इतना मूर्त नहीं है, लेकिन वह अस्तित्व में है। इसलिए  प्रार्थना, अज्ञात और अदृश्य के बीच की एक कड़ी हो सकती है। अज्ञात के साथ प्रेम हो जाना ही श्रद्धा है।


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