प्रश्न ६३: त्याग क्या है? | गुरुदेव श्री श्री रविशंकर

 

गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर:

त्याग वह क्रिया है जिसमे आप अपना अधिकार या स्वत्व किसी वस्तु या भाव से छोड़ देते हैं जिसको आपने पकड़ के रखा है, जो आपको खुशी देता है, त्याग कुछ बड़ा करने के लिए अच्छा होता है। त्याग से जीवन में शक्ति आती है। बलिदान के बिना जीवन प्रवाहहीन है। त्याग आपको क्वांटम लीप (महत्वपूर्ण परिवर्तन) देता है। यह आपको ऊंचे स्तर पर ले जाता है।

अक्सर लोग सोचते हैं कि त्याग जीवन को नीरस और उदास बनाता है। वास्तव में, यह वह बलिदान है जो जीवन को जीने लायक बनाता है। आपके जीवन में बलिदान की मात्रा आपकी भव्यता को सामने लाती है और आपको दुख से बाहर निकलने में मदद करती है। बिना त्याग के जीवन कुछ भी नहीं है। उत्साह, जोश, सामर्थ्य और आनंद सभी त्याग से जुड़े हैं।

प्रश्न: कुछ लोग कहते हैं, "मैंने बहुत त्याग किया है," और शिकायत करते हैं।

उत्तर: यह अच्छा है। त्याग ने उन्हें शिकायत करने की ताकत दी है और यूं शिकायत करना उन्हें खुद को दोष देने से बचाता है जिसके बिना वे और भी उदास हो जाएंगे।

त्याग कभी अप्राप्य नहीं होता। त्याग के बिना कोई प्रेम, कोई ज्ञान और कोई सच्चा आनंद नहीं हो सकता। त्याग आपको पवित्र बनाता है। पवित्र बनो!


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