प्रौद्योगिकी (टेक्नॉलजी) का उद्देश्य मनुष्य को सूचित करना और आराम पहुँचाने के लिए प्रकृति का दोहन करना है। जब आध्यात्मिक मूल्यों एवं मानवीय मूल्यों कि अहवेलना और उपेक्षा की जाती है, तब टेक्नॉलजी आराम लाने की बजाए भय और विनाश लाती है। मानवीय मूल्यों के बिना टेक्नॉलजी प्रकृति को एक मृत वस्तु के रूप में देखेगी। विज्ञान प्रकृति के जीवन में अंतर्दृष्टि देता है और आध्यात्मिकता प्रकृति को जीवंत बनाती है।
उदाहरण के लिए बच्चों की नजर में दुनिया में कुछ भी मृत नहीं है - जानवर, पेड़, सूरज और चंद्रमा - उन सभी में जीवन है, उन सभी में भावनाएं हैं, उन सभी में भावनाएं हैं? एक तनावग्रस्त और अज्ञानी मनुष्य की आंखें, एक जीवित व्यक्ति को भी वस्तु या रोबोट की तरह देखती हैं!
अध्यात्म के बिना तकनीक विनाशकारी है। अध्यात्म चेतना की तकनीक है, और सारा संसार चेतना का खेल और प्रदर्शन है।
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