प्रश्न ७३: गुरुदेव, भगवद गीता में भगवान कृष्ण कहते हैं, "सर्व-संकल्प परित्यागी"। इसका क्या मतलब है?

 


गुरुदेव श्री श्री रविशंकर:

जब आप सोने वाले हों, और यदि आप सोचते रहें कि "मुझे यह करना है, मुझे वह करना है", तो क्या आप चैन की नींद ले पाएंगे? जब आप सोते हैं तो आप क्या करते हैं? आप सब कुछ किनारे रख दो। तभी आपको नींद आ सकेगी। इस श्लोक में एक गहरा अर्थ है। योग तब तक नहीं होगा जब तक मन 'मैं यह चाहता हूं' या 'मुझे यह करना है' या 'मुझे वह करने की जरूरत है' जैसे ज्वलनशील विचारों में फंस गया है।

जब आपका दिमाग 20 अलग-अलग चीजें हासिल करने के पीछे दौड़ रहा है तो आप कैसे गहरा आराम पा सकते हैं? क्या ऐसी स्थिति में आपको कोई आराम मिल सकता है? इसलिए कुछ समय के लिए आपको सब कुछ अलग रख देना चाहिए। यही "सर्व-संकल्प संन्यासी" शब्द का अर्थ है।

'यदा ही नेंद्रीयार्थेशु न कर्मस्व-अनुसज्जते। सर्व-संकल्प-संन्यासी योगरुदस्तदोच्यते' (भगवद गीता, ६.४)

जब कोई ऐसी अवस्था में पहुँच जाता है जहाँ उसे अपने लिए कुछ भी नहीं चाहिए, तब वह योगी, सन्यासी बन जाता है। ऐसा बुद्धिमान और निस्वार्थ व्यक्ति अपने आसपास के सभी लोगों के लिए उपयोगी हो जाता है। आप वास्तव में संत, पैगंबर या प्रेरित किसे कहते हैं? वह जो अपने लिए कुछ नहीं चाहता, और जो केवल प्रार्थना करता है और दूसरों के कल्याण और भलाई के लिए काम करता है।

अक्सर व्यक्ति प्रसिद्धि, या धन आदि की इच्छा रखता है। यह इच्छा ही है जो व्यक्ति को नष्ट कर देती है और जीवन में उसकी दृष्टि और दृष्टिकोण को बहुत संकीर्ण और सीमित कर देती है। तो भगवान कृष्ण कहते हैं कि जब तक कोई व्यक्ति यह सब (इच्छा का ज्वर) नहीं छोड़ता और पोल और खाली नहीं हो जाता, उसे शांति नहीं मिलती। एक बार जब मन पोल और खाली हो जाता है, तो वह इतना गहरा विश्राम अनुभव करता है, और साथ ही भीतर से ऐसा गहरा आनंद उत्पन्न होता है।

ऐसी अवस्था में व्यक्ति अपने भीतर और चारों ओर परमात्मा के प्रकाश का अनुभव करता है। यहाँ यही मतलब है।


गुरुदेव के इन सुंदर लेखों को उनके आधिकारिक ब्लॉग पर भी पढ़ें:

8 qualities of a Yogi from Gurudev's commentary on Bhagavad Gita: Click Here to Read

Watch Video:



सोशल मीडिया पर गुरुदेव श्री श्री रविशंकर को फॉलो करें:

Instagram : https://www.instagram.com/srisriravishankar

YouTube : https://www.youtube.com/SriSri

Twitter : http://twitter.com/SriSri

Facebook : http://facebook.com/SriSriRaviShankar

Website : http://srisri.org/

Blog : http://wisdom.srisriravishankar.org/

LinkedIn : https://in.linkedin.com/in/srisriravishankar

टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें