प्रश्न ७६: गुरुदेव, मैं शब्दों के प्रभाव को कैसे दूर कर सकता हूँ?

 

गुरुदेव श्री श्री रविशंकर:

हम शब्दों को अर्थ देते हैं, और हम उन्हें विकृत भी करते हैं। उदाहरण के लिए, ब्रेनवॉशिंग शब्द। आपके शरीर की तरह आपके दिमाग को भी कभी-कभी धोने की जरूरत होती है। आप गंदे दिमाग व गंदे मन के साथ घूमना नहीं चाहते। ब्रेनवॉशिंग शब्द में क्या गलत है? यह एक स्वच्छ मस्तिष्क, स्वच्छ मन को इंगित करता है। लेकिन इसका इस्तेमाल अपमानजनक तरीके से किया जाता है।

इसके अलावा, शब्द मोहभंग। जब आपका मोहभंग हो जाए तो अच्छा है। आप भ्रम से बाहर हैं और वास्तविकता में आ गए हैं।

पुराण शब्द का अर्थ है कि जो शहर में नया है, सबसे आधुनिक है। लेकिन आज यह बहुत पुराने होने का बोध कराता है।

समय के साथ शब्दों के अर्थ बदल जाते हैं। उत्साहित शब्द ग्रीक भाषा से आया है, जिसका अर्थ है, ईश्वर हमारे साथ है। बाद में, उत्साही का अर्थ पागल हो गया, और आज शब्द का पूरा अर्थ फिर से बदल गया है।

शब्दों में मत उलझो। आपकी चिंताएं शब्द हैं। आपके विचार शब्द हैं।

ज्ञान शब्दों से परे है। यह तुम्हारा अस्तित्व है; सभी शब्दों का सार। शब्दों से परे देखें और संबंधित करें। तब आपके जीवन में कोई झूठ नहीं है।

यदि आप शब्दों में हेरफेर करते हैं, तो यह झूठ है;

यदि आप शब्दों से खेलते हो तो मजाक है।


यदि तुम शब्दों पर भरोसा करते हो, तो वह अज्ञान है;

यदि आप शब्दों के पार जाते हैं, तो यह ज्ञान है।


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