मनाथा श्री जगन नाथ
मेरे प्रभु सृष्टि के स्वामी हैं
गुरु श्री जगद गुरु
मेरे गुरु ब्रह्मांड के स्वामी हैं
मदतमा सर्व भूतात्मा
मेरी आत्मा हर जीवित प्राणी की आत्मा है
तस मई श्री गुरुवे नमः
मैं अपने गुरुदेव की महिमा को नमन करता हूं
अक्सर जो सार्वभौमिक होता है वह व्यक्तिगत नहीं होता और जो व्यक्तिगत होता है वह सभी का नहीं होता। "मेरा" क्या है और "सार्वभौमिक" क्या है, यह बिल्कुल विपरीत है। यही लालच, भय, ईर्ष्या और संतोष की कमी का कारण है।
इस गुरु पूर्णिमा पर जागें और महसूस करें कि ब्रह्मांड के भगवान आपके लिए बहुत ही व्यक्तिगत हैं। आपका व्यक्तिगत गुरु पूरे विश्व का गुरु है।
गुरु ही आपका स्वयं है और प्रत्येक प्राणी में आपका ही जीवन है। सार्वभौमिक व्यक्तिगत बनाओ; यह आपको अमीर, समझदार, मजबूत बनाता है। व्यक्तिगत सार्वभौमिक बनाओ; आपको स्वतंत्रता, करुणा, प्रेम मिलेगा।
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