प्रश्न १७५: गुरुदेव, क्या गुरु चुनने का मतलब यह है कि कोई अन्य गुरुओं की शिक्षाओं का पालन नहीं कर सकता है? क्या किसी के एक से अधिक गुरु हो सकते हैं?

गुरुदेव श्री श्री रविशंकर:

ओह! एक गुरु को संभालना कितना कठिन है, आप दो गुरु कैसे कर सकते हैं...! (हंसते हुए) यह आसान नहीं है।

सबका सम्मान करो लेकिन एक मार्ग पर चलो। सबका आदर करो और तुम देखोगे, सब गुरुओं ने एक ही बात कही है। एक ही सत्य है; इसलिए, उन्होंने एक ही बात कही है, लेकिन समय की जरूरतों के अनुसार तरीके अलग-अलग हैं। जब आप इस रास्ते पर होते हैं तो आपको संघर्ष नहीं होता है।

आप जिस भी रास्ते पर थे, उन्होंने आपको आशीर्वाद दिया है और इसी तरह आप यहां आए हैं। आपने उन पथों की सेवा की है, उन गुरुओं, उन आचार्यों और उनके आशीर्वाद से आप यहां पहुंचे हैं, इसी विश्वास के साथ आप आगे बढ़ते हैं। ठीक?

बात सिर्फ इतनी है कि अगर आप हर चीज को आजमाते रहते हैं, तो आप इतने भ्रमित हो जाते हैं! तो, मैं कहूंगा, एक को सभी में और सभी को एक में एक सिद्धांत के रूप में देखें। सबका सम्मान करो और एक मार्ग पर चलो।

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