गुरुदेव श्री श्री रविशंकर:
पाश्चात्य समाज से स्वच्छता और नियमों का पालन जैसी अच्छी चीजें उठाओ। पश्चिमी सभ्यता में ऐसी स्वच्छता और नियमों का पालन करने की भावना है। पूरब संस्कृति से मानवीय मूल्यों को जानें।
हर देश या परंपरा में कुछ न कुछ अच्छा होता है।
हमें जापानियों से आतिथ्य, जर्मनों से सटीकता, अंग्रेजी से शिष्टाचार और अमेरिका से मार्केटिंग और भारत के मानवीय मूल्यों से सीखने की जरूरत है। हम यह भी सीख सकते हैं कि क्या नहीं सीखना चाहिए या क्या पुराना सीखा हुआ भूल जाना चाहिए?
बहुत औपचारिकता! कहीं मां को अपनी बेटी के पास जाने की इजाजत लेनी पड़ती है तो कहीं बेटी को मां से मिलने के लिए। ऐसा यहां के शहरी समाज में भी कहीं न कहीं होने लगा है।
समाज से स्वाभाविकता और अपनेपन की भावना गायब होती जा रही है। इसने पश्चिम के कई देशों में अवसाद और अन्य विकारों को जन्म दिया है। पूरब के गांवों में एक ऐसी अपनेपन और मानवीय मूल्यों की भावना है, हमे बस उसे बनाए रखना है।
गुरुदेव के इन सुंदर लेखों को उनके आधिकारिक ब्लॉग पर भी पढ़ें:
Everyone has a role to play when the world is in turmoil: CLICK HERE TO READ
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