प्रश्न १८४: गुरुदेव, दुनिया में इतनी हिंसा और प्राकृतिक आपदाएं हो रही हैं। भगवान यह सब क्यों होने देता है? अगर ईश्वर है तो यह सब क्यों होता है?

गुरुदेव श्री श्री रविशंकर:

आप पौधों की कुछ पत्तियों और शाखाओं को काट लें। क्या आप गुलाब के पौधे की छंटाई नहीं करते? क्या यह काटने से मर जाता है? यह बढ़ता है। उसी तरह प्रकृति यह सब एक बड़ी तस्वीर से लाती है। ऐसा हमेशा नहीं होता है कि पके फल नारियल के पेड़ से गिरते हैं। कभी-कभी छोटा नारियल भी गिर जाता है।

समुद्र में बड़ी मछलियाँ भी छोटी मछलियों को निगल जाती हैं। तो, ये प्राकृतिक आपदाएं सभी प्रकृति का हिस्सा हैं। यदि हम प्रकृति का बहुत अधिक दोहन करते हैं, तो और अधिक प्राकृतिक आपदाएँ आती हैं। हम पृथ्वी में डायनामाइट डाल रहे हैं। हम इसे हर दिन उड़ा रहे हैं। असंतुलन पैदा हो जाता है और इसलिए पृथ्वी कांपने लगती है।

आज सतत विकास की जरूरत है। हमें ग्रह की देखभाल करने की आवश्यकता है। प्रकृति कानून के साथ चलती है। ईश्वर का अर्थ है एक नियम, एक कानून। सब कुछ उसी से चलता है। इस ग्रह पृथ्वी की रक्षा और देखभाल हमे ही करनी है।

एक है प्राकृतिक आपदा। एक और मानव निर्मित आपदा है। मानव निर्मित आपदाओं से हमेशा बचा जा सकता है। लोग सोने के एक छोटे से टुकड़े के लिए मानव जीवन की कीमत नहीं लगा रहे हैं। मानवीय मूल्यों को समाज में वापस लाने की जरूरत है।

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