प्रश्न १६८: गुरुदेव, मैं बहुत बार दुखी होता हूँ। मैं इससे कैसे बाहर निकल सकता हूं?


गुरुदेव श्री श्री रविशंकर:
अभी आप खुश हैं या दुखी? बस खुश रहो। तो इसका जवाब आपके भीतर है।

एक बार एक महिला एक संत के पास गई और पूछा, "दुनिया इतनी उदास क्यों है?"

जब आप दु:खी होने पर दुनिया को नहीं छोड़ सकते हैं, तो आप खुशियों से भरी दुनिया को कैसे छोड़ेंगे?
यदि आप दुनिया को जाने नहीं दे सकते हैं तो आपको बहुत नुकसान होगा। बस स्रोत की ओर मुड़ें, कोई उदासी नहीं है। एक बार जब आप सीख लेते हैं कि अंदर कैसे जाना है तो दुनिया उदास नहीं लगती। जरा दुनिया को देखो, दुख कहां है? पंछी चहक रहे हैं; नदी बह रही है। उदासी कहाँ है? मैं दुनिया में सिर्फ सुंदरता देखती हूं।

बस सभी चेहरों को देखें (यहाँ) वे कितने खुश हैं! जीवन में २० प्रतिशत दुख और ८० प्रतिशत सुख है। लेकिन हमारा दिमाग २० प्रतिशत को २००० प्रतिशत बना देता है।

गुरुदेव के इन सुंदर लेखों को उनके आधिकारिक ब्लॉग पर भी पढ़ें: 

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